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आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मियों के लिए बनेगी स्थायी नीति: अग्निहोत्री

➤ सरकार पैरा पॉलिसी कर्मियों और जल रक्षकों को स्थायी व्यवस्था में लाने की तैयारी में
➤ 12 साल सेवा वाले 3486 जल रक्षक पंप अटेंडेंट बनाए गए
➤ सभी विभागों के अस्थायी कर्मचारियों के लिए एक समान नीति पर विचार


उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को सदन में बताया कि सरकार पैरा पॉलिसी कर्मियों और जल रक्षकों की लंबित मांगों के स्थायी समाधान की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को उचित वेतन, बेहतर सुविधाएं और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने पर नीति-निर्माण अंतिम चरण में है।

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि पैरा पॉलिसी श्रेणियों में लगे कर्मचारियों को मुख्यधारा में शामिल किया जाए। इसलिए इनके लिए अलग से इंश्योरेंस व्यवस्था लागू नहीं की जाएगी, क्योंकि इन्हें नियमित ढांचे में सम्मिलित करने का लक्ष्य है।

जल शक्ति विभाग में अब तक 6220 जल रक्षक भर्ती किए जा चुके हैं। इनमें से 3486 जल रक्षक, जिन्होंने 12 साल की सेवा पूरी की, उन्हें पंप अटेंडेंट बनाया गया है। हालांकि अब भी बड़ी संख्या में ऐसे जल रक्षक हैं जिनकी 12 वर्ष सेवा पूरी नहीं हुई है और विभाग में पर्याप्त पद उपलब्ध नहीं हैं।

पैरा पॉलिसी से जुड़े मामलों पर उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पैरा पंप ऑपरेटर, पैरा फिटर और पैरा मल्टीपर्पज़ वर्करों का मानदेय कांग्रेस सरकार ने बढ़ाया है। पॉलिसी में पैरा पंप ऑपरेटरों के लिए 15% प्रमोशन कोटा और पैरा फिटर के लिए 10% कोटा तय है, जबकि पैरा मल्टीपर्पज़ वर्करों के लिए अब तक कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। सरकार ने प्रस्ताव भेजा है कि इन्हें बेलदार वर्ग में 10% कोटे के तहत समायोजित किया जाए।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग की राय है कि पैरा पॉलिसी और जल रक्षकों को 8 साल से अधिक पैरा श्रेणी में न रखा जाए। 8 साल की सेवा पूरी होने पर इन्हें दैनिक वेतन भोगी बनाने पर विचार चल रहा है। जल रक्षकों के लिए भी इसी आधार पर पंप ऑपरेटर बनाए जाने का प्रस्ताव है।

उन्होंने बताया कि वित्त विभाग चाहता है कि सभी विभागों में इस तरह की श्रेणियों के लिए एक समान और व्यापक नीति बने, ताकि लोक निर्माण, जल शक्ति व अन्य विभाग अलग-अलग नियमों पर न चलें। सरकार का लक्ष्य है कि सभी अस्थायी श्रेणियों को एक ही पॉलिसी के तहत नियमितीकरण की दिशा में लाया जाए।